फिल्म समीक्षा :  मैं दिया तैं मोर बाती…
एकान्त चौहान (CGFilm.in)। फिल्म लव दीवाना के साथ एक्शन स्टार के रूप अपनी  फिल्मी पारी की शुरूआत करने वाले दिलेश साहू पिछली फिल्म मोर जोड़ीदार-2 में रोमांटिक किरदार में नजर आए थे, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था। वहीं आज रिलीज हुई फिल्म मैं दिया तैं मोर बाती… में दिलेश ने कुछ हटकर ही रोल किया है। इसलिए आप ये फिल्म एक बार जरूर देखिए। क्योंकि बेहतरीन अभिनय और तेजी से बदलते घटनाक्रमों का रोमांच आपको बांधकर जरूर रखेगा।

और हां, इस फिल्म की एक सबसे बड़ी खासियत के बारे में आपको बताना तो जरूर चाहेंगे…तो सुनिए…इस फिल्म में छॉलीवुड के तमाम बड़े कलाकारों ने एकदम नया रोल निभाया है खासकर, रजनीश झांझी, उर्वशी साहू और निशांत उपाध्याय ने। एकबारगी तो आप इन्हें परदे पर देखकर यकीन ही नहीं कर पाएंगे और आपके बाजू में बैठा शख्स आपको बताएगा तो आपके मुंह से बस यही निकलेगा- अरे वाह!



ये तो हुई वो बातें, जिन्हें हमने थियेटर में बैठकर फिल्म देखते हुए महसूस किया। तो चलिए हम आगे बढ़ते हैं मैं दिया तैं मोर बाती…फिल्म की ओर, जो आपको शुरूआत से अंत तक कुर्सी पर चिपके रहने को मजबूर कर देगा। फिल्म की कहानी और निर्देशन में अभिषेक सिंह एकदम फिट रहे हैं। फिल्म शुरू होती है शिवा (दिलेश साहू), गौरी (अनिकृति चौहान) और उसके दोस्तों की कॉलेज लाइफ से। जहां कॉलेज की मस्ती और हंसी-ठिठौली करते उनकी अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। इसके बाद सारे दोस्त शिवा के गांव जाने का प्लान करते हैं और फिल्म इंटरवेल तक खिंच जाती है। और असली कहानी इंटरवेल के बाद शुरू होती है? बाकी क्या और कैसे होता है, जो एक हंसती खेलती गौरी बेजान हो जाती है और शिवा मजबूर…ये सब जानने आपको अपने नजदीकी सिनेमाघर में जरूर जाना होगा।

गाने और फिल्मांकन
फिल्म के सभी गाने बहुत ही अच्छे हैं, खासकर टाइटल सांग में दिलेश और अनिकृति की केमेस्ट्री दर्शकों को आकर्षित करती है। गानों का फिल्मांकन और कोरियोग्राफी भी बहुत ही उम्दा है।

कॉमेडी पक्ष
फिल्म में कॉमेडी ना हो तो दर्शक कुछ मायूस हो जाते हैं, पर इस फिल्म में आपको संतोष निषाद (बोचकु) के साथ तीन कॉमेडियन की तिकड़ी हंसने पर मजबूर कर देगी। इसके अलावा निशांत उपाध्याय का गेटअप और भाव भंगिमा आपको अनायास ही मजबूर कर देगी कि आप जी भरके हंसे।

अंत में
फिल्म के हर किरदार ने अपने रोल के साथ न्याय किया है। एक-एक सीन ऐसे फिल्माया गया है, जैसे मानो जान ही फंूकी गई हो। रजनीश झांझी जैसे मंझे हुए कलाकार आपको एकदम नए रूप में दिखाई देंगे। इसके साथ ही पूरी फिल्म कहीं भी ट्रैक से उतरती नजर नहीं आती है। इसे निर्देशन पक्ष की मजबूत कड़ी कहा जा सकता है। फिल्म में कहानी पर पूरा फोकस करते हुए कैमरा वर्क को आकर्षक बनाया गया है, जो तारीफ करने योग्य है।