राजिम कुंभ कल्प

cgfilm.in गरियाबंद । राजिम कुंभ कल्प 2025 के दूसरे दिन नवीन मेला मैदान राजिम चौबेबांधा में रात्रि कालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य मंच में पायल साहू और आकाश चंद्राकर की प्रस्तुति ने धूम मचा दिया। शिव उपासना, गणेश वंदना, राजकीय गीत अरपा पैरी के धार के अलावा छत्तीसगढ़ी गीतों की शानदार प्रस्तुति देकर अंत तक दर्शको को बांधे रखा। तरिया तीर के पटवा भाजी…., बही बना दिए रे बुंदेला…., जिंदगी के नई हे ठिकाना…, लहर गंगा ले लेते न… जैसे गीतों को सुनकर दर्शक झूमने लगे।

छत्तीसगढ़ की लोक गायिका निर्मला ठाकुर एवं चंपा निषाद ने भी अपने आवाज के जादू से दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। चुटुक अंजोरी निर्मल छाईयां….., तोरेच नाव के मया दिवाना….., थैया-थैया नाचे मोरे अंगना वो…., जय हो दुर्गा….., महामाया पांचो रंग करे है श्रृंगार हो मा….., का जादू डारे मोला वो….., परदेशी पिया आ जाना चंदा बनके वो…., जय गंगान जैसे सुपर हीट छत्तीसगढ़ी लोक गीत को सुनकर दर्शक भी उसे गुनगुना कर झूमने लगे। कलाकारों का सम्मान मेला समिति द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।Anuj Sharma Archives – JoharCG

राजिम कुंभ कल्प मेला 2025 में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मच गई है, और इस बार विशेष आकर्षण का केंद्र बने छत्तीसगढ़ी लोक गीत। प्रसिद्ध गायिकाएं निर्मला ठाकुर और चंपा निषाद ने अपने सुरीले और दिल छूने वाले छत्तीसगढ़ी लोक गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

निर्मला ठाकुर और चंपा निषाद का गायन छत्तीसगढ़ी संस्कृति और संगीत की आत्मा को दर्शाता है। उनके लोक गीतों में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक धुनों के साथ आधुनिकता का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिला। मेला में उपस्थित श्रद्धालु और दर्शक उनकी गायकी पर झूम उठे और उनके गीतों के साथ ताल मिलाने लगे।

गायिकाओं ने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के लोक गीतों, भक्ति गीतों और क्षेत्रीय संगीत का मंच पर प्रस्तुत किया, जो मेला क्षेत्र में एक अद्भुत माहौल पैदा कर रहा था। इस कार्यक्रम ने न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं को, बल्कि संगीत प्रेमियों को भी आकर्षित किया।

राजिम कुंभ कल्प मेला हर साल सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत करता है, और निर्मला ठाकुर तथा चंपा निषाद के लोक गीतों ने इस साल के मेले को और भी खास बना दिया। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर अपनी भावनाओं को संगीत के माध्यम से व्यक्त किया और छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति की महिमा का अनुभव किया।

यह कार्यक्रम न केवल मेला की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि छत्तीसगढ़ी संगीत को एक नया मंच भी प्रदान करता है, जो आने वाले वर्षों में और भी लोकप्रिय हो सकता है।