महानदी की महाआरती

cgfilm.in राजिम कुंभ कल्प मेला 2025 में प्रतिदिन महानदी की महाआरती का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। यह धार्मिक आयोजन मेला क्षेत्र में एक अद्भुत आध्यात्मिक वातावरण बना रहा है। श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति के साथ महानदी के तट पर एकत्रित होकर आरती में शामिल होते हैं और अपनी अराधना अर्पित करते हैं।

महानदी के तट पर हो रही इस महाआरती को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। इस आयोजन में प्राचीन परंपराओं का पालन करते हुए विशेष मंत्रों और भजनों के साथ आरती की जाती है। आरती का समय और माहौल इतना धार्मिक और भावनात्मक होता है कि हर कोई इस अनुभव का हिस्सा बनना चाहता है।

महानदी की महाआरती को लेकर श्रद्धालुओं में एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। इसका आयोजन सुबह और शाम दोनों समय किया जाता है, ताकि श्रद्धालु अपनी सुविधानुसार इसमें शामिल हो सकें। महाआरती के दौरान, दीपों की रौशनी, मंत्रोच्चार, और आस्था से भरपूर वातावरण में श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं।

यह महाआरती न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजिम कुंभ कल्प मेला की पहचान बन चुकी है। इसके माध्यम से श्रद्धालु एक साथ मिलकर अपनी आस्था को प्रकट करते हैं और महानदी के तट पर एकता का प्रतीक बनते हैं।

गरियाबंद 14 फरवरी 2025/ राजिम कुंभ कल्प मेला के नदी क्षेत्र पुराने मेला मैदान में प्रतिदिन साध्वी प्रज्ञा भारती के सानिध्य में महानदी की महाआरती की जा रही है। आचार्य-पुरोहित द्वारा मां गंगा का आह्वान कर पूरी श्रद्धा के साथ वैदिक रीति से आरती उतारी जाती है। आचार्य तट पर बने 11 मंचों से बैठकर-खड़े होकर फिर चारों दिशाओं में घूमकर मां गंगा के स्वरूप की आरती की जाती है। आरती में शामिल होने के लिए श्रद्धालु शाम से ही अपना स्थान सुरक्षित कर लेते हैं।

महाआरती में 11 पंड़ितों द्वारा लयबद्ध तरीके से क्रमवार मां गंगा की आराधना करते हुए आरती करते हैं। तत्पश्चात शिव स्त्रोत और शिव तांडव का सस्वर पाठ पूरे वातावरण में ऊर्जा का संचार करते हुए धर्म, आस्था और श्रद्धा की खुशबू से क्षेत्र का कण-कण आतुर हो राममय हो जाता है। महाआरती में प्रतिदिन साधु-संतों के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि और मेला में पहुंचने वाले हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने महाआरती में शामिल होने के बाद कहा कि आज प्रकृति के पांच तत्व प्रदूषित हो गए है।

उन्हें राजयोग के माध्यम से पुनः पवित्र सत्तो प्रधान बनाने का पावन कर्तव्य करना है। प्रकृति के ही हम स्वामी हैं। मालिक का फर्ज होता है अपने साथियों की सेवा करना। आज जल प्रदूषण से ज्यादा मन प्रदूषित हो गया है। इसे ही सारे तत्व प्रदूषित हो गए हैं। उन्होंने बताया कि राजयोग मेडिटेशन में इतनी शक्ति है कि संपूर्ण प्रकृति को सतो प्रधान बना सकते हैं इसलिए परमात्मा को सर्वशक्तिमान कहा जाता है।