राजिम

cgfilm.in गरियाबंद । राजिम कुंभ कल्प मेला के पहले दिन सांस्कृतिक मंच पर अंतरराष्ट्रीय गायिका मैथिली ठाकुर के भजन सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत अरपा पैरी के धार… से की। इसके बाद तुम उठो सिया श्रृंगार करो…. कभी राम बनके, कभी श्याम बनके, मेरे झोपडी के भाग्य.., भारत का बच्चा-बच्चा जय राम बोलेगा…., हम कथा सुनाते…. जैसे एक से बढ़कर भजन की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राम भक्ति से ओतप्रोत भजन से पूरा माहौल राममय हो गया। उल्लेखनीय है कि मैथिली ठाकुर 2017 में प्रसिद्धि के शिखर पर पहंुची जब राइजिंग स्टार के सीजन 01 में भाग लिया। मैथली इस शो की पहली फाइनलिस्ट थी। राजिम कुंभ कल्प के मुख्य मंच पर प्रस्तुति देकर उन्होंने अपने आप को गौरवान्वित महसूस किया।

मंच पर कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति महतारी लोक कला मंच के प्रमुख कलाकार चंद्रभूषण वर्मा की टीम ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। खन खन बाजे बैला के घुंघरू और सुन सुन मोर मयारू जैसे छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति दी। कलाकारों का सम्मान पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक विवेक आचार्य, गरियाबंद कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल एवं अन्य अधिकारियों ने स्मृति चिन्ह भेंटकर कि

कुंभ 2025 में एक और सांस्कृतिक शाम ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया जब प्रसिद्ध पार्श्व गायिका मैथिली ठाकुर ने अपनी मधुर आवाज़ से समा बांध दिया। मैथिली ठाकुर का संगीत कार्यक्रम राजिम कुंभ के विशेष आयोजन में एक महत्वपूर्ण आकर्षण रहा, जहां उन्होंने अपनी लोकप्रिय और दिल को छू लेने वाली गायकी से सजीव प्रदर्शन किया।

मैथिली ठाकुर ने भारतीय शास्त्रीय संगीत, भक्ति संगीत और लोकप्रिय गीतों का अद्भुत मिश्रण पेश किया, जिसे सुनकर दर्शक झूम उठे। उन्होंने अपनी गायकी में राजिम कुंभ की धार्मिक और सांस्कृतिक भावना को पूरी तरह से महसूस कराया, जिससे वहां मौजूद हर व्यक्ति को एक आध्यात्मिक अनुभव हुआ। उनके सुरों ने रात को खास बना दिया और कार्यक्रम में उपस्थित सभी भक्तों और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मैथिली ठाकुर ने खासकर छत्तीसगढ़ी लोक संगीत, भजन और सूफी गीतों की प्रस्तुति दी, जो राजिम कुंभ के धार्मिक संदर्भ से गहरे रूप से जुड़ी हुई थीं। उनके गीतों ने कुंभ मेले के माहौल को और भी रोशन किया, और उपस्थित लोगों ने हर गीत के साथ उनका स्वागत किया।

गायिका ने मंच पर अपनी टीम के साथ कई लोकप्रिय भजन और सूफी गीतों की प्रस्तुति दी, जिससे दर्शकों में एक नया उत्साह और उमंग देखने को मिला। मैथिली ठाकुर की गायकी की निपुणता और भावनाओं का गहरा संचार उनकी आवाज़ में था, जो श्रोताओं को एक अद्भुत यात्रा पर ले गया।

इस अद्भुत कार्यक्रम के बाद, लोगों ने मैथिली ठाकुर की सराहना करते हुए कहा कि उनके संगीत ने राजिम कुंभ के अनुभव को और भी खास बना दिया। उनका प्रदर्शन एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मंच पर जीवित हुआ और दर्शकों को एक अद्वितीय संगीत यात्रा पर ले गया।

राजिम कुंभ में मैथिली ठाकुर की प्रस्तुति ने यह साबित कर दिया कि संगीत न केवल आत्मा को शांति और संतुष्टि प्रदान करता है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है।