CFilm.in – छत्तीसगढ़ में दीवाली पर्व के पूर्व से सुआ गीत गाने की परंपरा है। इसे लेकर कई सारे छत्तीसगढ़ी गीत भी आए हैं, तो अलका परगनिहा के स्वर में सुनिए सुआ गीत… सुवा लहकत हे डार में…। आपको बता दें कि सुआ नृत्य व गीत की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाएं इस सुआ गीत के साथ नृत्य करती हैं। सुआ नृत्य करने वाली महिलाओं के समूह को दान स्वरूप धान, चावल प्रदान किया जा रहा है। सुआ गीत गाने की यह अवधि धान की फसल खलिहानों में आ जाने से लेकर उन फसलों की परिपक्वता के बीच का समय होता है, जहां कृषि कार्य से किसान को विश्राम मिलता है। प्रत्येक वर्ष इसका आरंभ दीपावली के समय शंकर और पार्वती विवाह में गौरा पर्व के साथ होता है, जो अगहन माह दिसंबर-जनवरी के अंत तक चलता है।
अलका परगनिहा
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