एकान्त चौहान (CGFIlm.in)। जैसा कि आप सब जानते हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर वैसे तो 1965 में आई कहि देबे संदेश के साथ ही शुरू हो चुका था। इसके बाद 1971 में घर द्वार रिलीज हुई। इन दोनों ही फिल्मों के बाद छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सफर में एक लंबा बे्रक लग गया था। लेकिन राज्य गठन के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण में जबरदस्त तेजी आई और आज हजारों छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण हो चुका है। इसके साथ ही यू-ट्यूब पर छत्तीसगढ़ी एलबम, वीडियो सांग, शार्ट मूवी और अब वेबसीरिज में भी अपना कमाल दिखा रही है। आज हम छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सफर में नजर डालेंगे छत्तीसगढ़ की सुपरहिट फिल्म मोर छंईया-भुईयां के बारे में, जिसने एक अलग ही इतिहास रचा है। इस फिल्म के गाने और किरदार बकायदा नाम सहित लोगों की जुबान पर आज भी हैं।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के इतिहास में 27 अक्टूबर, 2000 का दिन हर किसी को याद होगा। इसी दिन छॉलीवुड की अब तक की सबसे बड़ी फिल्म मोर छंईया-भुईयां राजधानी के बाबूलाल टॉकीज में रिलीज हुई थी। और देखते ही देखते ही इस फिल्म में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए। इस फिल्म ने ऐसा इतिहास रचा कि जब भी छत्तीसगढ़ी फिल्मों की बात आएगी सबसे पहले मोर छंईया-भुईयां का नाम ही सामने आएगा।
इस फिल्म के निर्माण के साथ ही सतीश जैन भी छॉलीवुड के नामचीन निर्माता और निर्देशक बन गए। इसके साथ ही मोर छंईया-भुईयां में मुख्य भूमिका निभाने वाले पद्मश्री अनुज शर्मा को सुपरस्टार का तमगा हासिल हुआ। इसके बाद एक के बाद कई फिल्मों के अनुज शर्मा को ऑफर आने लगे और उनकी फिल्मों की मांग भी लगातार बढऩे लगी।
बताया जाता है कि इस फिल्म के निर्माण के समय निर्माता, निर्देशक और लेखक सतीश जैन को काफी मेहनत भी करनी पड़ी। फिल्म बनाने उन्हें रिश्तेदारों से कर्ज भी लेना पड़ा। यहां तक कि खेत और मां के गहने तक गिरवी रख दिए। उस समय इस फिल्म की लागत 22 लाख आई थी और इसकी कमाई लगभग दो करोड़ के आसपास हुई। वहीं इस फिल्म के हीरो अनुज शर्मा इस फिल्म से रातों-रात स्टार बन गए।
इस फिल्म के बाद उन्होंने मया दे दे मया ले ले और झन भूलौ मां-बाप ने.. जैसे बेहतरीन फिल्में की। वहीं मोर छंईया-भुईयां की सफलता के बाद सतीश जैन की मोर छंईया-भुईयां-2 को लेकर चर्चाएं लगातार होती रही हैं।