Pappu Chandrakar

CGFilm.in सीजीफिल्म.इन (एकान्त चौहान)। हास्य के लिए कोई स्पेशल टीम बनाकर या फिर क्लॉस में बैठकर कार्य करने की जरूरत नहीं है बल्कि यह तो आस-पास के परिवेश में ही देखने, सुनने से उपलब्ध हो जाती है। कलाकार बनने के लिए संस्कारिक होने की आवश्यकता है। वैसे भी छत्तीसगढ़ संस्कार की धरती है जहां गीत संगीत के बीज बोए जाते हैं, तो संस्कृति की महक सात समुंदर पार भी पल्लवित रही है।पिछले दिनों सांकरा बालोद से राजिम माघी पुन्नी मेला पहुंचे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हास्य कलाकार पप्पू चंद्राकर ने मीडिया सेंटर में पत्रकारों से चर्चा के दौरान उक्तें बातें कही। उन्होंने आगे बताया कि मैनें बचपन में पहली बार रातभर जागकर नाचा देखा और सुबह नाचा के कलाकारों की नकल उतारकर लोगों को दिखाया।

जिसे देखकर लोग काफी खुश हुए और मुझे शबासी दी। बस उसी दिन से कला के प्रति मेरा रूझान दिनों दिन बढऩे लगा और लोग मुझे कार्यक्रम देने के लिए बुलाने लगे।दो हजार से ज्यादा मंचों पर कार्यक्रमवर्तमान में मेरे लगभग दो हजार से ज्यादा मंचों पर कार्यक्रम हो चुके है। मुझे छत्तीसगढ़ी फिल्म के अलावा भोजपुरी फिल्म और टीवी में काम करने का अवसर मिला। जो मेरी संभवत: आज तक की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है।विदेशों में भी कार्यक्रम प्रस्तुत करने की तमन्नापप्पू चंद्राकर की दिली तमन्ना है कि विदेशों में भी मैं अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करूं। उनका कहना है कि जब बाहर के कलाकार हमारे यहां छत्तीसगढ़ में आकर अपनी प्रस्तुति दे सकते है तो फिर हमारे यहां के कलाकार उनके यहां जाकर अपनी प्रस्तुति क्यों नहीं दे सकते। कला का क्षेत्र हो या फिर जीवन के किसी भी विधा में आगे बढऩे के लिए लगन और मेहनत जरूरी है।नाचा गम्मत का प्रचलन कम होना चिंता का विषय


किरदार कोई भी हो एक दिन मुकाम जरूर मिलता है। नाचा गम्मत का प्रचलन जिस तरह से धीरे-धीरे कम होते जा रहा है वह चिंता का विषय है। यदि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विधा का मुख्य अंग रहा नाचा, गम्मत तो संरक्षित नहीं किया गया। तो यकीनन आने वाली पीढ़ी इस कला से अंजान रह जायेगी। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा इस तरह के आयोजन कर बढ़ावा देने का काम कर रहे हंै जो तारीफे काबिल है।मेरी मां खुद एक कलाकार थीचंद्राकर ने कहा कि मेरी मां खुद एक कलाकार थी, मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। आज मैं जो भी हूं अपनी मां, जो मेरी प्रेरणा स्रोत और गुरू दोनों थी। यह उन्ही के आशीर्वाद का फल है। शुरूवाती दौर में मुझे भी औरों की तरह काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे मेरी कला विकसित होती गई और मैं अपने चाहने वाले दर्शकों की चाहत से आगे बढऩे लगा।   
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