CGFilm.in छत्तीसगढ़ कॉलेज में आज भूलन द मेज फिल्म का प्रदर्शन हुआ। खुशी की बात की भूलन कांदा उपन्यास को छत्तीसगढ़ कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भूलन कांदा उपन्यास के लेखक श्री संजीव बख्शी, फिल्म के कलाकार संजय महानंद के साथ कॉलेज के विद्यार्थियों व शिक्षकों ने फिल्म देखी।
आपको बता दें कि मनोज वर्मा की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त भूलन- द मेज एक ऐसी ही फिल्म है, जो कई सालों तक दर्शकों के दिलो-दिमाग में छाई रहेगी। फिल्म में मनोज वर्माजी ने डायरेक्शन का जो हुनर दिखाया है, वह काफी चमत्कारिक है। परदे पर हर किरदार आपको जीवंत लगेगा। रियलिस्टिक टच देती यह फिल्म नि:संदेह सभी को पसंद आएगी। भूलन द मेज को 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में रीजनल सिनेमा कैटेगिरी में बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला है।
इस फिल्म की कहानी लीक से एकदम हटकर है। भूलन कांदा के जरिए यह संदेश दिया गया है कि हमारी न्याय व्यवस्था का पांव भी भूलन कांदा पर पड़ गया है और उसे छूकर जगाने की सख्त जरूरत है। छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले भूलन कांदा पर बनी इस फिल्म का स्क्रीन प्ले बिल्कुल सधा हुआ है। भूलन कांदा के बारे में जिस अंदाज और स्टेप-बाय-स्टेप फिल्मांकन करते हुए न्याय व्यवस्था तक पहुंचाया गया है, यह वाकई तारीफ करने लायक है।