CGFilm – विचारणीय प्रश्न 15 जून को प्रदर्शित हुई सतीश जैन निर्देशित छत्तीसगढ़ी फिल्म हंस झन पगली फंस जबे के बाद लगभग 9 फिल्में और रिलीज हुई। लेकिन जहां एक और हंस झन पगली ने अकेले राजधानी रायपुर में ही 95 दिनों तक सिनेमा हाल में लगातार चलती रही, वहीं छत्तीसगढ़ के कुछेक जिलों में इसने 100 दिन का रिकॉर्ड भी बनाया है।
वहीं दूसरी ओर हंस झन पगली के सुपरहिट होते ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों की बाढ़ सी आ गई। एक के बाद एक लगातार लगभग 9 फिल्में रिलीज भी हुई। लेकिन सब के सब बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम से जा गिरी। आखिर ऐसा कैसे हुआ… ये चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि ये फिल्में ऐसी-वैसी बनी हो, लाखों की लागत और अनुज शर्मा जैसे दिग्गज अभिनेता की फिल्में भी नहीं चल पाई। तो चर्चा लाजिमी है।
इस बीच चर्चा हुई दर्शकों की कमी की… लेकिन जिस हंस झन पगली… के लिए राजधानी के एक टॉकीज में जोर शाम को ट्रैफिक जाम होता रहा है, हर शो हाउसफुल चला हो, वहां दर्शकों की कमी का बहाना तो बिल्कुल भी नहीं चलने वाला। ऐसा नहीं है कि हमारे छत्तीसगढ़ में दर्शकों की कमी हो, क्योंकि हमारे ही छत्तीसगढ़ की पहली बड़े परदे की फिल्म मोर छइयां भुइयां, मया देदे मया लेले, मयारू भौजी, झन भूलौ मां-बाप ला… जैसे कई फिल्में दर्शक आज भी देखना चाहते हैं और इन फिल्मों का क्रेज शायद ही कभी कम हो।
खैर, हम वापस लौटते हैं मूल मुद्दे… हंस झन पगली के बाद रिलीज हुई मंदराजी डायरेक्टर विवेक सारवा और प्रोड्यूसर नंदकिशोर साहू की फिल्म है। इसमें करण खान और ज्योति पटेल ने अभिनय किया था। ये फिल्म 26 जुलाई, 2019 को रिलीज हुई थी। लेकिन ये फिल्म भी वो सफलता हासिल नहीं कर पाई, जिसकी उम्मीद थी। इसके बाद छॉलीवुड के सुपरस्टार अनुज शर्मा की तीन फिल्में रंगोबती, राजा भैया एक आवारा और सॉरी आई लव यू जान भी बॉक्स ऑफिस पर कोई करमात नहीं दिखा पाई। इसके अलावा आई लव यू -2, सउत-सउत के झगरा, सुपर हीरो भइसा, लव दीवाना भी औंधे मुंह गिरी।
तो यह बड़ा विचारणीय प्रश्न है कि आखिर एक के बाद एक लगातार छत्तीसगढ़ी फिल्में आखिर फ्लॉप क्यों होती जा रही है। बहुत सी फिल्में तो अपना लागत तक निकाल पाती। आखिर क्यों…?
दर्शकों का बहाना बेकार
कुल मिलाकर देखा जाए तो यहां दर्शकों का बहाना तो बिल्कुल नहीं चलेगा। क्योंकि अगर दर्शक नहीं मिलते तो हंस झन पगली, मोर छइयां भुइयां… जैसे कई फिल्में सुपरहिट नहीं हो पाती। इसलिए दर्शकों को दोष देना हमारे हिसाब से बिल्कुल सही नहीं है।
प्रचार-प्रसार की कमी
हो सकता है छत्तीसगढ़ी फिल्मों में जिस हिसाब से लागत लगाई जाती है, उसका एक चौथाई हिस्सा भी प्रचार-प्रसार के लिए खर्च नहीं किया जाता हो। इसलिए ये दर्शकों तक अपने ऑफिशिल ट्रेलर के जरिए पहुंच ही नहीं पाती और स्टोरी, डॉयलॉग से दर्शकों का एक बड़ा वर्ग अनजान रहता है। लिहाजा फिल्में एक-दो दिनों बाद ही परदे से उतर जाती हों। इसके विपरीत देखा जाए तो बॉलीवुड में प्रचार-प्रसार के लिए बड़े-बड़े कवायद किए जाते हैं। यहां तक टीवी सीरियल के जरिए भी फिल्मों का प्रमोशन किया जाता है।
स्टारर चेहरे के साथ कहानी में नवीनता हो तभी बनती है बात…
आज दर्शकों और सिने प्रेमियों के पास अपने मनोरंजन के लिए इंटरनेट, टीवी और सिनेमा की भरमार है। लिहाजा दर्शक जब भी टॉकीज की ओर रुख करते हैं, उन्हें कुछ नवीनता की चाहत होती है। नहीं तो बॉलीवुड में स्टारर चेहरे के होते हुए कई फिल्में कुछ ही दिनों में बाहर हो जाती है। हो सकता है छत्तीसगढिय़ा दर्शक भी कुछ ऐसा ही चाहते हो। उन्हें स्टारर चेहरे के साथ कहानी और डॉयलॉग भी दमदार चाहिए। फिर देखिए हर छत्तीसगढ़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस में नया-नया रिकॉर्ड बनाएगी।