cgfilm.in गजेंद्र श्रीवास्तव प्रोडक्शंस के बैनर तले प्रोड्यूसर गजेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा निर्मित एवं छत्तीसगढी फिल्म भूलन द मेज के माध्यम से देश विदेश में छत्तीसगढ का नाम रौशन करने वाले सुप्रसिद्ध निर्देशक मनोज वर्मा द्वारा निर्देशित फिल्म सुकवा एक लोक कथा पर आधारित है जिसकी कहानी ललित कुमार निषाद के द्वारा लिखी गई है एवं पटकथा संवाद मनोज वर्मा ने लिखी है।
यह एक ऐसी कहानी है जो सदियों से चली आ रही कुरीतियों को उजागर करती, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को दर्शाती, और अंधविश्वास के प्रति जागरूकता पर आधारित है। मनोज वर्मा बताते हैं की फिल्म में भूत प्रेत भी हैं लेकिन फिल्म हॉरर नहीं है, हंसी मजाक से भरपूर और एक संदेश देती हुई फिल्म सुकवा जिसमें सुपरस्टार मन कुरैशी, दीक्षा जायसवाल प्रदेश की जानी-मानी लोग गायिका एवं एनएसडी दिल्ली से पास-आउट गरिमा दिवाकर इसमें मुख्य भूमिका में दिखाई देंगी।
इस फिल्म में लोगों को हंसा हंसा कर लोटपोट करने का काम छत्तीसगढी एवं भोजपूरी फिल्मों के सुपर कमेडियन संजय महानंद, दुर्ग के हेमलाल कौशल, पप्पू चंद्रार एवं भिलाई के संतोष बोचकू, सेवक यादव, ओंकार चौहान ने किया है। जबकि इस फिल्म में पुष्पेन्द्र सिंह, विनय अम्बस्ट एवं क्रांति दीक्षित के जर्बदस्त खलनायकी देखने को मिलेगी। इसके अलावा छॉलीवुड के सुप्रसिद्ध एक्टर अंजलि चौहान, मनोज जोशी, शीतल शर्मा, उपासना वैष्णव के अभिनव का जलवा देखने को मिलेगा।
निर्देशक मनोज वर्मा ने बताया कि यह फिल्म फूल इंटरटैनमेंट के साथ ही एक संदेशात्मक व पूरा पैसा वसूल फिल्म है। अब तक जितनी छत्तीसगढी फिल्म बनी है, उसमें ये एकदम अलग सब्जेट की फिल्म है। जिस तरह एक अलग प्रकार की फिल्म भूलन द मेज थी। पत्रकारवार्ता में फिल्म की हिरोईन दीक्षा जायसवाल, गरिमा दिवाकर, कमेडीयन संजय महानंद, छॉलीवुड एक्टर शमशीर सिवानी, निर्देशक मनोज वर्मा, निर्माता गजेन्द्र श्रीवास्तव उपस्थित थे।
नई दिल्ली, 11 जनवरी 2025: फिल्म उद्योग में सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में अक्सर समाज में जागरूकता फैलाने का काम करती हैं। ऐसी ही एक फिल्म है ‘सुकवा’, जो सदियों से चली आ रही कुरीतियों और समाज की बुराइयों को उजागर करती है। यह फिल्म समाज के दबे-कुचले वर्ग के जीवन, उनके संघर्ष और असमानताओं को परदर्शित करती है, जो आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं।
फिल्म ‘सुकवा’ का निर्देशन एक उभरते हुए निर्देशक ने किया है, जिन्होंने समाज की गहरी परतों को खंगालने का साहस दिखाया। यह फिल्म खासतौर पर एक छोटे से गाँव के पारंपरिक जीवन को दर्शाती है, जहाँ लोग कुरीतियों और अंधविश्वासों में जकड़े हुए हैं। फिल्म का मुख्य पात्र, ‘सुकवा’, एक युवा लड़की है, जो इन कुरीतियों से जूझते हुए अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करती है। वह न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक बदलाव की प्रतीक बनती है।
‘सुकवा’ फिल्म में भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति, जातिवाद, छुआछूत और अन्य सामाजिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया है। फिल्म में दर्शाए गए संघर्ष और पीड़ा उन कुरीतियों को उजागर करते हैं, जो आज भी कई स्थानों पर पूरी ताकत के साथ कायम हैं। हालांकि, फिल्म का संदेश सकारात्मक है, क्योंकि यह दर्शाती है कि बदलाव संभव है अगर हम सभी मिलकर इन कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाएं।
फिल्म में दमदार अभिनय, सशक्त संवाद और जीवंत चित्रण ने इसे एक प्रेरणादायक कृति बना दिया है। दर्शकों से मिली प्रतिक्रियाओं में यह फिल्म सबसे चर्चित फिल्मों में से एक बन चुकी है। ‘सुकवा’ न केवल मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि यह एक सामाजिक जागरूकता का भी माध्यम बन चुकी है, जो निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव की ओर एक कदम बढ़ाएगी।
इस फिल्म के जरिए निर्देशक ने यह साबित किया है कि सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं बल्कि समाज की समस्याओं को उजागर करने और उनके समाधान की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।