CGFilm – छत्तीसगढ़ राज्य गठन होने के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण में भी तेजी आई है। इसके साथ ही बढ़ा है फिल्मों में काम करने की युवाओं में रुचि। आज कई ऐसे प्रतिभावान युवा हैं, जो छॉलीवुड में अपना कैरियर तलाशने में लगे हैं। वहीं एक से बढ़कर एक छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने ये साबित किया है कि छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस उन्हें तराशने की जरूरत है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्में के दर्शक भी बहुत हैं, लेकिन सिनेमाघरों की सीमित संख्या से कई अच्छी फिल्में भी दर्शकों तक नहीं पहुंच पाती है।
बहरहाल, हम बात करते हैं शुभम यादव की, जो इस वर्ष यानी 2021 में छत्तीसगढ़ी फिल्म हुक्का पानी बंद से अपने अभिनय कैरियर की शुरूआत करने जा रहे हैं। वैसे यह वर्ष उनके लिए यादगार रहने वाला हैं, क्योंकि शुभम इस वर्ष हुक्का पानी बंद…में बतौर हीरो नजर आएंगे, तो वहीं बिरतिया बाबा फिल्म में निगेटिव किरदार में। हैं ना यादगार रोल। ऐसे बहुत ही कम देखने में आता है, जब एक फिल्म का हीरो तुरंत ही दूसरे में निगेटिव रोल में नजर आए। तो इन दोनों फिल्मों और किरदार के बारे में जब सीजीफिल्म.इन ने शुभम यादव से चर्चा की तो उनका कहना था- ” वाकई ये मेरा लिए चैलेंजिंग था। एक फिल्म में हीरो और तुरंत ही दूसरे फिल्म में निगेटिव रोल करना आसान नहीं था। कुछेक लोगों ने भी कहा कि ये दो तरह के रोल वो भी एक साथ। पर मुझे (शुभम) अलग-अलग किरदार करने का मौका मिला तो उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ा दिए।”
आपको बता दें कि शुभम यादव मूलत: मस्तूरी (जिला बिलासपुर) के रहने वाले हैं। वे हुक्का पानी बंद से डेब्यू करने जा रहे हैं। लेकिन अभिनय का ये उनका सफर नया नहीं है, वे इससे पहले छत्तीसगढ़ी एलबम संजनी और छुनुर-छुनुर पैरी बाजे में नजर आ चुके हैं। फिल्मों में उनका पर्दापण इसी वर्ष होने जा रहा है। हमारी ओर से उन्हें शुभकामनाएं…
हुक्का पानी बंद फिल्म को लेकर शुभम कहते हैं कि ये गांवों में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों को लेकर बनी फिल्म हैं। इसके डायरेक्टर रतन कुमार (ओडिशा) हैं। हीरोईन सोनिया दास और विलेन का किरदार निभाएंगे अजय पटेल। फिल्म की शूटिंग बिलासपुर के आसपास के क्षेत्रों में ही हो रही है। कुछ हिस्से पूरे हो चुके हैं और बाकी की तैयारी है। वहीं शुभम बिरतिया बाबा में निगेटिव रोल में नजर आएंगे।
एलबम और फिल्म में उनके अनुभव को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में शुभम का कहना है- “मेरे लिए एलबम के बाद फिल्मों का अनुभव निश्चित ही नया है, लेकिन वे हर किरदार को बेहतरीन करना चाहते हैं।”
लगातार कम हो रहे थियेटर चिंता का विषय
शुभम का कहना है कि छत्तीसगढ़ में फिल्मों और दर्शकों की कोई कमी नहीं है। बल्कि जरूरत थियेटर और मिनी थियेटरों की है। वे कहते हैं कि यदि हर जिले और ब्लॉक में यदि थियेटर या मिनी थियेटर की उपलब्धता हो जाए, तो निश्चित ही काफी संख्या में छत्तीसगढ़ी फिल्में दर्शकों तक पहुंचेगी। एक के बाद एक छत्तीसगढ़ में कम होते जा रहे थियेटर को लेकर वे चिंतित हैं।